Tuesday, 23 September 2008

क्यूँ नहीं देते ?

(1)
है ख्वाहिश अगर चप्पल की तो दिला क्यूँ नहीं देते,
बेगम को मुसीबत से बचा क्यूँ नहीं लेते,
पूछे अगर कोई मोची नाप पावों की,
पीठ पर जो नक़्श है दिखा क्यूँ नहीं देते...

(२)

औलाद को धन्धे पे लगा क्यूँ नहीं देते,
बुक हाथ में चंदे की थमा क्यूँ नहीं देते,
लुच्चा है, लफंगा है, अगर आप का बेटा,
बस्ती का उसे लीडर बना क्यूँ नहीं देते...

6 comments:

vineeta said...

bahut badhiya maza aa gya...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

लुच्चा है, लफंगा है, अगर आप का बेटा,
बस्ती का उसे लीडर बना क्यूँ नहीं देते...

bahut badhiya

ALOK PURANIK said...

क्या केने, क्या केने
ये दूसरा वाला शेर क्या अकबर इलाहाबादी का है क्या।

ऋतेश त्रिपाठी said...

pataa nahi saabji...

अनूप भार्गव said...

बढिया है जी बढिया है ....

वर्षा said...

महंगे को काटता सस्ता शेर। बहुत अच्छा है।