Monday, 8 September 2008

ख़लीफ़ा बब्बर की खोपड़ी

पढिये अशोक चक्रधर की एक कविता ....

दर्शकों का नया जत्था आया
गाइड ने उत्साह से बताया—

ये नायाब चीज़ों का
अजायबघर है,
कहीं परिन्दे की चोंच है
कहीं पर है।

ये देखिए
ये संगमरमर की शिला
एक बहुत पुरानी क़बर की है,
और इस पर जो बड़ी-सी
खोपड़ी रखी है न,
ख़लीफा बब्बर की है।

तभी एक दर्शक ने पूछा—
और ये जो
छोटी खोपड़ी रखी है
ये किनकी है ?

गाइड बोला—
है तो ये भी ख़लीफ़ा बब्बर की
पर उनके बचपन की है।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

मस्त हे भाई
धन्यवाद