दूर से देखा तो सन्तरा था,
पास जाके देखा तो सन्तरा था,
छील के देखा तो भी सन्तरा था,
खाके देखा तो भी सन्तरा था,
वाह भाई क्या सन्तरा था
पास जाके देखा तो सन्तरा था,
छील के देखा तो भी सन्तरा था,
खाके देखा तो भी सन्तरा था,
वाह भाई क्या सन्तरा था
महंगाई के दौर में एक राहत की सांस
2 comments:
खाते कल हैं बताते आज हैं
गुरू आप तो बड़े संतारेबाज हैं
भई वाह! क्या बात कही है.
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