Monday, 10 December 2007

पाठ कुपाठ : ठेठ ब्रुक हिल का ठाठ

(कबाड़खाना के पन्नों पर कई दफा ब्रुक हिल का ज़िक्र आया है । नैनीताल में यह एक आम छात्रावास देश-दुनिया के बाक़ी छात्रावासों की तरह ही था । यहाँ पर भी और जगहों की तरह कुछ न कुछ रोज नया रचा जाता रहा-कुछ ठेठ कुछ भदेस । उसी में से कुछ माल कम्पनी के प्रचार के वास्ते और आम जनता के फायदे के बाबत यहाँ डिस्पले किया जा रहा है। माल नंबर एक का उत्पादंकर्ता आजकल चेन्नई में साइंस पढा रिया है और माल नंबर दो वाला इस नाचीज़ को ही मान लें ।)

एक नंबर(का माल)-

रात के अँधेरे में मेरे सिर पर बजती है ,
तीन सूत की सरिया तडा ताड़ -तडा ताड़ ,तडा ताड़ ,तडा ताड़, तडा ताड़ .....

दो नंबर (का माल)-

तेरे हुस्न की मिसाइल मेरे दिल के पता नहीं किस स्तान पर गिरी है,
पर जे तो जुलुम है तू अंतर्राष्ट्रीय संस्था की तरह चुप-सी काय कू खड़ी है।

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