Thursday, 13 December 2007

सुनिये राग दरबारी से रामाधीन भीखमखेडवी का हाल हवाल


श्रीलाल शुक्ल का उपन्यास राग दरबारी किसी परिचय का मुहताज नहीं है. उधर हमने टूटी हुई बिखरी हुई पर कई दिनों से एलान कर रखा है कि हम वहाँ राग दरबारी आपको सुनवाएँगे. इसे शुरू न कर पाने में दुविधा यही है कि इसके प्रोडक्शन की गुणवत्ता को लेकर अभी मैं आश्वस्त नहीं हूँ. अब, जब कि अशोक पांडे ने रामाधीन भीखमखेडवी को सस्ते शेर की महफिल में आमंत्रित कर ही लिया है, तो ये मौज़ूँ लगता है कि जैसा भी है इसे एक बानगी के तौर पर आपके सामने पेश करूँ. आपको कैसा लगा- राय भेजियेगा.
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क़िस्सागो: मुनीश

Dur. 08 Min. 43 Sec.

7 comments:

Ashok Pande said...

बहुत शानदार पेशकश। मैं तो बेताब हूँ पूरा 'राग दरबारी' सुनने को। हम सारे मिल कर इस की सी डी बनाएंगे और घर घर घूम कर लोगों से खरीदवाएंगे। मुनीश भाई को भी शुक्रिया।

VIMAL VERMA said...
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VIMAL VERMA said...
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पारुल "पुखराज" said...

bahut khuub....

Anonymous said...

भाई मुनीश,आपकी आवाज़ में किस्सा सुना, आनन्द आ गया, एक अलग ही दुनियां में ले जाते हैं, प्रस्तुति अद्भुत लगी,स्वर का उतार चढाव बनावटी नही लग रहा यही आपकी खासियत है,शुक्रिया दोस्त !!!

मुनीश ( munish ) said...

Tareef ka shukriya Vimal bhai! Dekhiye Ashok bhai,Irfan aur meri to ek aghoshit, secret mutual admiration society hai jiske charter ka article no. one hame ek doosre ke su/ku krityon ke tareef ke liye badhya karta hai. Aisi koi badhyata chunki apke saath nahi thi atev apki tippni ke liye apka abhaar jataate hue main yahan ye batana chahoonga ke ke urdu talaffuz , technical aspects vagaira tamaam baton ka shreya keval Irfan ka hai. Agey bhi apke sujhavon ka svagat hai.

alok putul said...

बहुत ख़ूब. मज़ा आ गया. आप बेवजह गुणवत्ता को लेकर परेशान थे.