Tuesday, 8 July 2008

कुत्तों के सरदार की सायरी

उनकी गली के चक्कर इतने काटे, कि कुत्ते हमारे यार हो गए
वो तो हमें नहीं मिली, मगर हम कुत्तों के सरदार हो गए

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

भाई हमारे राज क्यो खोल रहे हो ???

अनूप भार्गव said...

अहमद फ़राज़ साहब से क्षमा याचना के साथ ---

सुना है वो अपने कुत्ते से प्यार करती हैं
तो चलो आज उसे भी अपने गले लगा के देखते हैं

दीपक said...

पहले इत्मिनान तो कर ले ,पता चला कल आपको फ़िर किसी गली मे दौडा तो नही देंगे ! हा हा हा