Sunday, 13 July 2008

न हम झांकें न वो झांकें


अपनी खिड़की से वो झांके
अपनी खिड़की से हम झांके
लगा दो आग खिड़की में
न हम झांकें न वो झांकें


5 comments:

Ashok Pande said...

बड़े सूफ़ियाना मिजाज़ का शेर है साहब! हम तो जाने कब के खिड़कियों में आग लगा चुके हैं अलबत्ता.

अति उत्तम!

siddheshwar singh said...

हम तो खिड़्की से उनकी झांकंगे.
और महफ़िल में लंबी हांकंगे .
और कुछ आता नहीं इसके सिवा,
इसक कर्रेंगे धूल फ़ांकेंगे...

अनूप भार्गव said...

बढिया है ....

Bandmru said...

khidki khuli parda hata.
nazar se nazar ka taka bhida.
aur kya........
bus wo hamare aur hum unke ho gaye.

gudgudi ho gai man men.
lajwab................

दीपक said...

खिडकी जलाओगे तो पर्दे से झाकेंगे ।
उनकी शादी कर दो फ़िर वो घर मे टी.वी.का वाल्युम बढा कर लडेंगे और पडोसी झाकेंगे !!