एक मित्र द्वारा भेजी गई रचना प्रेषित कर रहा हूँ । पता नहीं किस की लिखी हुई है ।
वैधानिक चेतावनी : अनुरोध है कि इस कविता को मेरी सम्पूर्ण नारी जाति के प्रति भावनाओं से न जोड़ा जाये ।
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एक शराबी भैंस से टकरा के बोला हम ये बोतल तोड़ देते हैं
बहन जी मुआफ करना हम यह पीना पिलाना छोढ़ देते हैं
और फ़िर एक मोटी सी औरत से टकरा के गुर्रा के बोला
यह साले बाँध कर नहीं रख्ते अपनी भैंसें खुली छोढ़ देते हैं
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6 comments:
अब मैं शराबन कह के विरोध में तुकबन्दी नही कह सकता वरना कहीं ऐसा ना हो हमें भी खिलाफ मान लिया जाय ;)
लेकिन शेर पढकर यही कहा जा सकता है कि शराब पी कर आदमी अपने होश खो बैठता है।
sharab cheej hi aisi hai na chodi jaye yeh mere yaar ki jaisi hai na chodi jaye
साहित्य के नाम पर इतनी घटिया प्रस्तुति । कुछ अच्छा लिखिए।
शोभा जी:
न तो ’साहित्य’ का दावा था और न ही ये मेरी लिखी हुई है । वैधानिक चेतावनी भी लिख दी थी ।
अगर फ़िर भी गलत लगे तो शराबी और भैंस का लिंग बदल कर पढ लीजिये ।
सादर
सस्ते शे'र पढते समय दिल में महँगी भावनाएँ नहीं होनी चाहियें :)
बाप रे सरे आम पंगा.....
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