Thursday, 11 September 2008

जिस क़दर जूते पड़ें आराम है !

जिस क़दर जूते पड़ें आराम है,
आशिक़ी बे-गैरती का नाम है,

खूब हैं आँखें तेरी छोटी-बड़ी,
एक है अखरोट इक बादाम है,

इश्क़ के मिस्कीं जूते खाये जा,
बाद हर तकलीफ़ के आराम है,

उफ़ मेरी लैला का मुझसे पूछ्ना,
कहिये मजनू आप ही का नाम है?

7 comments:

seema gupta said...

खूब हैं आँखें तेरी छोटी-बड़ी,
एक है अखरोट इक बादाम है,
" ha ha ha ha mind blowing, bhut khub"

Regards

संगीता पुरी said...

उफ़ मेरी लैला का मुझसे पूछ्ना,
कहिये मजनू आप ही का नाम है?

क्या बात है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

kya baat hai mian, wah

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

kya baat hai mian, wah

राज भाटिय़ा said...

यह आप की लेला आज कल के जमाने की रही होगी

वीनस केसरी said...

वाह वाह
वाह वाह

वीनस केसरी

अनूप भार्गव said...

अर्ज़ किया है ..

मिल रहीं अब्बा से तेरे घुड़कियाँ
ये भी तेरे इश्क का ईनाम है