Wednesday, 12 September 2007

सबेरे का सूरज




सबेरे का सूरज तुम्‍हारे लिए है, तुम जाग जाना
मैं नौ बजे तक सोऊंगा, मुझे ना जगाना

2 comments:

VIMAL VERMA said...

जो सोये सो खोये.. क्या भाई सोना तो मै भी नौ बजे तक चाहता हूं..रात का चन्दा मेरा और सवेरे का सूरज उसका... हे हे हे ही ही...

anuj said...

विमल जी कैसे है आपकी रचना बहुत अच्छी लगी मज़ा आ गया भई आपके अन्दर बहुत कुछ छिपा है जो अब निकल कर बाहर आ रहा है