Tuesday, 25 September 2007

अर्ज किया है भैया




तुम्हारी याद में बेचैन उसको रात भर रखा
कभी तकिया इधर रखा कभी तकिया उधर रखा ।।



5 comments:

आशुतोष कुमार said...

jidhar jidhar padee thee wo haseen namkeen nukeelee high heel chappal

ajai said...

क्या बेचैनी है ?बहुत ख़ूब लगता है आपके तकिये में रुई की जगह रुपिया भरा है इसीलिये छुपाते फिर रहे हैं

VIMAL VERMA said...

भाई अच्छा तकिया लगा रखा है....आपने जो फोटो लगा र्खी है उस पर एक शेर. तकिये पे तकिया!
तकिये पे तकिया!!
......तकिये पे तकिये पे तकिया!
अरे तकिया देखें की तकिये का बैलेंस देखें!! हा हा हा हा ही ही ही ... असल में ये हंसी आपके शेर पर आई है वो है... मेरे वाले से मुस्कुरा के ही रह पाएंगे..

Udan Tashtari said...

वो तकिये पे तकिया जमा रहे हो,
क्या गम है जिसको छिपा रहे हो. :)

तू सोये अकेला, ये ही मुक्कदर
फिर क्यूँ तुम तकिये,सजा रहे हो.

--वाह वाह!! आह्ह, आह्ह!!

Reyaz-ul-haque said...

हा हा हा हा...

यह हंसी दोनों के लिए. आपके शेर पर भी और उडन तश्तरी जी पर भी.