Tuesday, 11 December 2007

मोहल्ले में कल्लोपरी का आगमन

धोखा मिला जब मोब्ब्त-ओ-बफा में, ज़िन्दगी में उदासी छा गई
सल्फ़ास का पैकेट लाया तो था, मोहल्ले में मगर कल्लोपरी आ गई

2 comments:

मुनीश ( munish ) said...

foto me videshi haath ki maujoodgi ke mozun pe kya kahiyega?

अजित वडनेरकर said...

ये एक शानदार शेर है। इसे मुकम्मिल ग़ज़ल होना चाहिए और दीदार देहलवी या बेदिल आज़मी से गवाया भी जाना चाहिए। कल्लोपरी नाम में भी दम है। बहुत लाड़वाला नाम.....मौहल्ले में गोरी मेम की वजह से कभी खलबली नहीं मची, हमेशा कल्लोपरी ने ही फसाद कराया है। कल्लू, फत्ते , चिमटे, घसीटे सब लड़े हैं आपस में ....