Sunday 28 October 2007

ट्रक ड्राइवरों के नाम

चलती है गाड़ी उड़ती है धूल
जलते हैं दुश्मन खिलते हैं फूल

14 का फूल 45 का माला
बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला
(गाड़ी के नंबर के हिसाब से लिखा जाता है, यानी इस मामले में 1445 नंबर का ट्रक)

टाटा में जन्मी
राँची में सिंगार हुआ
धनबाद से लदके चली
ड्राइवर से प्यार हुआ
(टाटा का ट्रक इंजन जिसकी बॉडी राँची में तैयार हुई और उसके बाद छपरा के ड्राइवर के प्यार में गिरफ्तार हुई)

मालिक तो अच्छा इंसान है
मगर चमचों से परेशान है
(ट्रक मालिक के दोस्तों चमचों के नाम ड्राइवर का संदेश)

मालिक की बीवी धनवंती
मालिक की गाड़ी बसंती
जलता है इराक़ का पानी
ड्राइवर का पसीना और खून
तब रोटी मिलती है दो जून
(एक श्रमजीवी ड्राइवर का बयान)

2 comments:

Neelima said...

एक सस्ती कविता रचने की खुजली पैदा करता सस्ता टिकाऊ शेर ! (क्या आप अनामदास का पोथा वाले अनामदास ही हैं ?)

Ashok Pande said...

क्या हर शेर के बाद आपकी टिप्पणी आवश्यक थी साब? सस्ता शेर कहते सुनते ज़रूर हैं मगर उत्ते सस्ते भी न हैंगे। कुछ बढिया माल लायें। ताज़ा और सुन्दर तरीके से गंधाता हुआ हमारे शुद्धताप्रेमियों की नाक में बजबजाता घुसने वाला। दाद तभी पाईएगा और खाज भी। जय हिंद।