Friday, 5 October 2007

ऋतू बीत ना जाये सावन की

हे अष्ठपुत्री सौभाग्यावती ना सोचो नैहर जावन की
दिल मे उमंग अब भी मेरे, हो भले उमरिया बावन की

अब तो हो सजनी लूप्वती चिन्ता ना किसी के आवन की
सारा आसाढ़ यूं ही बीता ऋतु बीत ना जाये सावन की

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