हे अष्ठपुत्री सौभाग्यावती ना सोचो नैहर जावन की
दिल मे उमंग अब भी मेरे, हो भले उमरिया बावन की
अब तो हो सजनी लूप्वती चिन्ता ना किसी के आवन की
सारा आसाढ़ यूं ही बीता ऋतु बीत ना जाये सावन की
Friday, 5 October 2007
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