Tuesday, 9 October 2007

शेर ले लो शेर!


ले लो, ले लो मेरी तुकबंदियां, ये सस्ते ताज़ा शेर हैं,
मज़ा लो जनाब
इनका, ये बिन गुठली के बेर हैं !

No comments: