Wednesday 3 October 2007

शायरी गुड़गांव की

लो बांध लो नाव इस ठांव ओ बंधु
हमें तो जाना है गुड़गांव बंधु
दिल्ली और गुड़गांव के दरम्यां कोई नदी बहती नहीं
बहोत याद आती है वो लड़की जो मोहल्ले में अब रहती नहीं

1 comment:

Anonymous said...

WAH WAH...WAH WAH