Tuesday, 6 November 2007

दर्द भोगपुरी उर्फ़ नवीन नैथानी का ताज़ा शेर

मैं तमाम पव्वे उठा उठा के, गरीब लोगों में बाँट दूं।
बस एक बार वो मैकदे का निजाम दे मेरे हाथ में।

(नवीन भाई ने ये शेर आज ही सुबह मुझे एस एम् एस पर इसे भेजा है)

2 comments:

बालकिशन said...

मैं भी गरीब हूँ. कंहा आऊँ ?

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया! नवीन जी की इच्छा पूरी हो...तो शायद हमें भी कुछ मिले!