Tuesday 13 November 2007

अकबर चचा के अशआर : एक


हम क्या कहें अहबाब क्या कार-ए-नुमायाँ कर गए
बी ए हुए, नौकर हुए, पेंशन मिली, फिर मर गए

बताऊँ आपसे, मरने के बाद क्या होगा
पुलाओ खाएँगे अहबाब, फ़ातेहा होगा

क्या कहूं इसको मैं बदबख्ती-ए-नेशन के सिवा
उसको आता नहीं अब कुछ इमीटेशन के सिवा


-अकबर इलाहाबादी

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