Wednesday, 21 November 2007

हकिकत


होठ तेरे जैसे गुलाब,
मदिरा से भरा जाम था।
सुन्घा वो गुलाब तौबा तौबा
वो तो क्लोरोफ़ार्म था...

1 comment:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत खूब। आपका यह प्रयोग सराहनीय है। आशा है आगे और भी सस्ते शेर पढने को मिलते रहेंगे।