सूखे गले के साथ भी वाइज़ के पास थे
अपनी क़सम! ख्वाब में क्या क्या नहीं किया
* सुधी पाठकों को याद दिलाता चलूँ कि नवीन नैथानी उर्फ़ दर्द भोगपुरी मशहूर कहानीकार हैं। कुछ समय पहले मैंने उनका एक शेर यहाँ लगाया था जो कतिपय कारणों से तब हटा दिया गया था। उसी शेर को दुबारा यहाँ लगाते हुए मुझे देहरादून के दो शानदार शायर याद आ रहे हैं : स्वर्गीय अवधेश और स्वर्गीय हरजीत की सदारत में चलने वाली देहरादून की टंटा समिति के प्रमुख स्तंभ थे दर्द साहब। दर्द साहब के ये तमाम शेर उसी दौर के हैं। अब न हरजीत भाई हैं न अवधेश भाई न देहरादून। खुद नवीन भाई भी डाक पत्थर में जमे हैं आजकल। टंटा समिति पर एक पोस्ट जल्द आयेगी। फिलहाल जादै इमोस्नल न होता हुआ मैं दर्द साहब के स्थाई भाव को व्यक्त करता उन्ही का शेर लगाता हूँ :
शराब-ओ-जाम के इस दर्जा वो करीब हुए
जो दर्द भोगपुरी थे गटर नसीब हुए
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2 comments:
वहवा...वहवा...गटर नसीब हुए...क्या दर्द है भोगपुरी साहब का...
बहुत खूब!
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