आसिक कहता है:
" ए बाग्बां की बेटी हमसे हुई क्यों बाग़ी
दो सेब तुझ से मांगे, कच्चे दिए ना दागी।"
बाग्बां की बेटी का उत्तर (क्या मीटर दुरुस्त किये जाने की दरकार रखता है भाईलोगो? सुझाव दें।) :
" ए बादशाह मेरे हम हैं गुलाम तेरे
टहनी पकड़ हिला ले, जितने गिरे वो तेरे।"
Thursday 11 October 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
मीटर सौ फ़ीसदी दुरुस्त है. वाह
gr88888888
बेहतरीन है. मामूली हेरफेर की कोशिश की है, ऑरिजनल पढ़िए, और उसके बाद तरमीम के साथ.
बागबाँ की बेटी हमसे न हो तू बाग़ी
सेब बस दो दे दे कच्चे हों या दाग़ी
जवाब
बादशाह मेरे गुलाम हम तेरे
हिला डाली जो गिरे सब तेरे
बात सब ऑरिजनल है, सिर्फ़ मीटर में तरमीम की गुस्ताख़ कोशिश की है, दाद नहीं चाहिए.
Post a Comment