Thursday, 11 October 2007

बाग्बां की बेटी और उसका आसिक

आसिक कहता है:

" ए बाग्बां की बेटी हमसे हुई क्यों बाग़ी
दो सेब तुझ से मांगे, कच्चे दिए ना दागी।"

बाग्बां की बेटी का उत्तर (क्या मीटर दुरुस्त किये जाने की दरकार रखता है भाईलोगो? सुझाव दें।) :

" ए बादशाह मेरे हम हैं गुलाम तेरे
टहनी पकड़ हिला ले, जितने गिरे वो तेरे।"

3 comments:

इरफ़ान said...

मीटर सौ फ़ीसदी दुरुस्त है. वाह

पारुल "पुखराज" said...

gr88888888

अनामदास said...

बेहतरीन है. मामूली हेरफेर की कोशिश की है, ऑरिजनल पढ़िए, और उसके बाद तरमीम के साथ.

बागबाँ की बेटी हमसे न हो तू बाग़ी
सेब बस दो दे दे कच्चे हों या दाग़ी

जवाब

बादशाह मेरे गुलाम हम तेरे
हिला डाली जो गिरे सब तेरे

बात सब ऑरिजनल है, सिर्फ़ मीटर में तरमीम की गुस्ताख़ कोशिश की है, दाद नहीं चाहिए.