Friday, 5 October 2007

तेल लगाके चल दिये


वो आये हमारी क़ब्र पे, दिया बुझाके चल दिये!
दिये में जो तेल था, वो सिर में लगा के चल दिये!!

3 comments:

Reyaz-ul-haque said...

तेल की इतनी कड़की चल रही है?

लगता है आयात करवाना पडे़गा. सुन रहे हैं मनमोहन भाई? कुछ कीजिए, वरना कब्रिस्तान अंधेरे में घिर जायेंगे.

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

हम कब्रिस्तान देखें कि हाई कमान?
मनमोहन

Anonymous said...

हमने इसका दूसरा वर्ज़न सुना है :

वो आये हमारी कब्र पर सिगरेट जला के चल दिये ।
दिये में जो तेल था, सर पे लगा के चल दिये ॥

प्रेमी या तो मुफ़लिसी का मारा था, या फिर खानदानी कंजूस .