Wednesday, 3 October 2007

उट्ठे नहीं लेट गये...


हज़रते बूम जहां बेठ गये, बेठ गये
जूतियां लाख पड़ीं, उट्ठे नहीं लेट गये

1 comment:

Sanjay Tiwari said...

हंसने का अच्छा उपाय है. बोना आलू लाजवाज है.