Sunday 11 May 2008

मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर

मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
लड़कियां हंसती रहीं और चूतिया कटता गया


(आशुतोष उपाध्याय को नैनीताल की खचुवाई हुई स्मृतियों के साथ सादर)

2 comments:

दीपक said...

सही है !!
कितने बार कटे है आप

मुनीश ( munish ) said...

MAST MAST ALI MAULA MAST MAST!