कुछ तकनीकी वजुहात के चलते नीचे छापा शेर इरफान ने reschedule किया और इक कमबखत लोचा हो गया । दरअसल ये शेर ऐसे था:
शिमले से भी ठंडे हैं तेरी जुल्फ के साए
अब काटेंगे वहीं आके मई जून वगैरा
ये शेर दो अदद दादों से नवाज़ा गया साहब मगर लोचे में वो जाती रहीं ,बहरहाल साइड बार में महफूज़ पाई जाती हैं।
Saturday, 24 May 2008
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