Sunday 11 May 2008

एक पव्वा रम तो है, हरगाम हमन अफ़ोर्ड

एक पव्वा रम तो है, हरगाम हमन अफ़ोर्ड
पैसे की काहे फिर तुमन दिखलाओ हो तड़ी

1 comment:

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

वाह!वाह!! क्या क्लासिकल अंदाज़ है!!!

पव्वे से काम जिनका मेरी जान न चले
फुल बोतल उनके सामने झुलाओ हर घड़ी.