शेर कहता हु मै जरा गौर से सुनो
मुझे नही आता किसी और से सुनो
हाथ उनके उठे थे मदद के लिये ही लेकिन"
साहिल ने उसे सलाम ए अलविदा समझा "
Monday 19 May 2008
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2 comments:
शुक्र है की पढे हैं ,गर सुनते हम ये शेर तो क़सम से हो जाते वहीं ढेर ! बहोत खूब प्यारे!
ha ha ha
sahi hai
ye hasne hasane ka silsila yun hi jari rakhiye
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