मित्रो!
एक नये शायर शैलेंद्र यादव सस्ते शेरों का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं। बानगी पर नज़र डालिये और कहिये कैसे लगे?
शादी से पहले
तकदीर है मगर किस्मत नही खुलती
ताज तो बनवा दु मगर मुमताज नही मिलती
शादी के बाद
तकदीर तो है मगर किस्मत नही खुलती
ताज तो बनवा दु मगर मुमताज नही मरती
Sunday 18 May 2008
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4 comments:
इरफान भाई, यादव जी से कहिये कि अभी और सस्ते बनें. वैसे पर्याप्त सस्ता बनने के बाद उनके लिए दरवाज़े खुले रखियेगा
मैं शायर तो नही मगर ऐ विशि ( विजय शंकर )
जबसे देखा ब्लॉग ये सस्ता मुझको
अपनी डायरी याद आ गई
अभी तो खजाना खुला ही नही है , और फिर जब सब शेर पार किए हुए ही सुनाने है तो फिर अब तक जितने सुने है सब सुना देते है !!
हमारी इल्तीजा यह है कि उन्हे इस शर्त पर शामिल करे कि यहा आ कर सक्रिय रहे और सस्ते शेर का स्कोर बोर्ड बढाते रहे !! और लोगो कि तरह यहा आकर सोये नही
सस्ता होने की कोचिंग यहाँ दी जाती है. सम्पर्क करें- विजय सतनवी, पोस्ट बॉक्स नंबर- ११११. अब इरफ़ान भाई, अगर यह पोस्ट बॉक्स नंबर आपका हो तो डाक डायवार्ट कर दीजियेगा. हाआहाहा!
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