Friday, 2 May 2008

न जाने किस गली में ...


मोहब्बत हो गई है डाकु सुल्ताना की बेटी से
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये ।

2 comments:

दीपक said...

या फ़िर
आप चँबल के सरदार हो जाये "
एम.पी.बडे रौबदार हो जाये"
मँह्गायी से मुरझा गये है
फ़िर से गुलजार हो जाये "

रश्मि प्रभा... said...

gr8
waise shaam ke badle ujaale ka bhi chance hai