ख्वातीनो हजरात आज सस्ते शेर ने ४२० न. का आकडा छु लिया है और यह ४२० नंबरी शेर पढने का हसीन मौका हमे मिल
गया है । किसी ने सही कहा है अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान "
हमारी तरह शेर पढो ,नाम हो जायेगा "
अँडे टमाटर बरसेंगे खुब
सुबह के नाश्ते का इंतजाम हो जायेगा "
तो शेर अर्ज है भगवान राम तुलसी दास और उनके चेले चपाटो (जिनमे मै भी शामील हूँ)से क्षमा प्रार्थना के साथ....
चित्रकुट के घाट पर भये पँचर के भीड "
तुलसीदास पँचर घीसे हवा भरे रघुवीर
Monday, 5 May 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
वाह वाह,
हवा भरें रघुवीर, हनुमान चक्का संभाले,
सुग्रीव औ अंगद मिल जुल के ब्रेक बनावें ।
दीपकजी आज आपने अपनी प्रतिभा का सिक्का चलाया. क्या इसी सिक्के को पंचर जुडवाने के लिये रखा था?
अजी कहा जनाब !!
धोखे से कुछ शेर कुवैतीयो को सुना दिये उन्होने जो खाज दिया (ढाई जोडी जुते ,साढे पाँच अँडे इत्यादी)उन्ही को बेचकर रुपया इकठ्ठा किया है
Dear Deepak!Please explain.
@इरफ़ान जी
तो किस्सा ये है कि एक परिचीत कुवैती है
किन्ग अब्दुल अजीज बिन अब्दुल रहमान बिन अल अह्अमद मिसल अब्दुल मोह्शीन अल रशैद अल साउद । हमारे घर से जो पहली गली है उस गली से जो दुसरी गली दुसरी गली से जो तिसरी गली है गली के सामने जो चौरहा है उस चौराहे के आगे जो मस्जीद है मस्जीद के आगे जो बकाला है ,बकाला के आगे जो चौराहा है उस चौराहे से आगे जो पहली गली है और पहली गली मे जो दुसरी गली है दुसरी गली पे जो विराना है वही इनका गरीब खाना है ...
इरफ़ान जी अभी सिर्फ़ नाम और घर तक पहुचे है और explain करु क्या ....
बाल नोचने कि नौबत आ जायेगी
हा हा हा हा
Post a Comment