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(पिछली मर्तबा ससुरा ऊपर ही नज़र आ गया था, अबकी गहरे दफ़न किया है)....
तो शेर अर्ज़ है-
अजब तेरी दुनिया, अजब तेरा खेल,
छछूंदर के सर पर चमेली का तेल।
Thursday, 15 May 2008
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1 comment:
जियादा गहरे न दफनाना जी , कि खुद भी उपर न आ सको
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