Tuesday, 20 May 2008

कोइ बम फ़ट जाये

जयपुर धमाके मे काल-कलवित हुये लोगो को विनम्र श्रधांजली के साथ !!





दीपक सोच-विचार के घर से निकलो भाय ।
ना जाने किस मोड पे कोइ बम फ़ट जाये "

3 comments:

ghughutibasuti said...

सही कह रहे हैं। हम तो अब बीमा करवाए बिना घर से पाँव बाहर नहीं रखने वाले !
घुघूती बासूती

आशीष कुमार 'अंशु' said...

सही बात

विजयशंकर चतुर्वेदी said...

आपने दस हजार का नुकसान करवा दिया. जब से शेर पढ़ा है, घर में दुबका बैठा हूँ, दफ्तर ही नहीं गया!
अब इरफ़ान भाई से कहिये कि मुझे किशोर दा का वह गाना सुनाएँ- 'अरे भई निकल के आ घर से- आ घर से'. वरना नौकरी चली जायेगी!!!!