Friday, 23 May 2008

धोबी, गदहा और धोबिन संबन्धी एक शेर-

भाई रवि रतलामी की १६ मई २००८ को ७ बजकर ३ मिनट पर ब्लॉगवाणी में नज़र आयी पोस्ट ''तीन साल पहले के हिन्दी चिट्ठाकार और उनकी चिट्ठियाँ" से उड़ाया और उस पोस्ट में फुरसतिया जी द्वारा प्रकाश में लाया गया एक शेर- (उफ्फ़! साँस फूल गयी!!!!!!)-

तो शेर अर्ज़ है कि ...



धोबी के साथ गदहे भी चल दिये मटककर,
धोबिन बिचारी रोती, पत्थर पे सर पटककर।

1 comment:

दीपक said...

क्या गधा है अपना काम छोड कर चला गया सच्मुच गधा है