रहिम जी कहते थे !!
रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सुन
पानी गये ना उबरै मोती ,मानुष चुन "
पर मुझे लगता है अब इसकी व्याख्या बदल गयी है और इस दोहे को भी modify कर देना चाहिये तो नेकी और पुछ पुछ !!
ये काम हम ही कर देते है मै अपनी कहता हू आप अपनी कहियेगा ...
दीपक रुपिया राखिये बिन रुपिया सब बेकार "
रुपिया बिना ना चिन्हे बॆटा , नेता ,यार "
Wednesday, 7 May 2008
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4 comments:
बेटा चीन्हे, सुख मिले, नेता चीन्हे मार
लेकिन कभी जो चीन्ह ले, पास न फटके यार
दीपू बिरादर तुमसे उम्मीद की जाती है की तुम dollar , euro , yen और कम से कम रियाल की बात करोगे।
muish ji
रियाल क्यो हम दुनिया कि सबसे महंगी मुद्रा K.D.लिख देते, पर ये महंगी है ना सस्ते शेर मे फ़ीट नही बैठ्ता ,फ़िर ये मुआ तो आज है कल नही रहेगा रुपिया तो अपना पुराना साथी है.......
मेरी समझ में सस्तों की बिरादरी का एक मूलमंत्र ये भी कि -
"ना रुपिया साथ में जायगा ना नेता, बेटा, यार
उतना रुपिया ही भला, जितना रक्खे खुद्दार "
बाकी सस्ते क्या कहते हैं ?
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