Tuesday, 13 May 2008

महंगाई मार गयी

एकदम सच्ची बात फ़िराक गोरखपुरी कि कलम से ..........

घर लौट के बहुत रोये मा बाप अकेले मे
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते नही थे मेले मे

3 comments:

Anonymous said...

bahut he suder

कुश said...

ye to bahut mehanga sher haid dada

मुनीश ( munish ) said...

MEHNGA HAI HI.VAAH.