Friday 22 February 2008

लौंडा फ़क़ीर का

बाबा नज़ीर अकबराबादी की ज़मीन पर शायर-ए-वतन जोश मलीहाबादी साहब ने एक कविता लिखी थी: "धन राजा का जो पाए है लौंडा फ़क़ीर का". बेदख़ल मनीषा पांडे को नज़्र है उसी से एक टुकड़ा और साथ में ये दोस्ताना सलाह भी कि 'डोन्ट यू वरी'.

असली अमीर हूं ये दिखाने के वास्ते

पुरखों की गन्दगी को छिपाने के वास्ते

जो बू बसी है उसको दबाने के वास्ते

माता-पिता का मैल छिपाने के वास्ते

दो दो पहर नहाए है लौंडा फ़क़ीर का

धन राजा का जो पाए है लौंडा फ़क़ीर का

क्या क्या ठसक दिखाए है लौंडा फ़क़ीर का

3 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

क्या बात है भाई। मौके से ढूंढ कर लाए हैं।

इरफ़ान said...

मनीषा पांडेय आज ही सस्ती शायरा बनी हैं और आपने ताज़ा पोस्ट " बेदख़ल मनीषा पांडे को नज़्र " करके हम सबकी तरफ से उनका इस्तक़बाल किया. बनता भी है. शुक्रिया.

VIMAL VERMA said...

ह्म्म्म्म गज़बै है भाई...