Friday, 29 February 2008

अहवाल-ए-जीस्त : दूसरा संस्करण

हुए दस बरस, हम दोस्तो, हैं लगे हुए एक हॉल में
मुग़ल-ए-आज़म अब हमें रकीब सारे बताने लगे

(जो भी वर्ज़न ठीक लगे, वही पसंद करें। मेरे लिए यह एक बड़ी पुरानी थीम है। थैंक्यू साब लोग।)

1 comment:

Unknown said...

मालिक मकान -
"वो अनारकली थी जो भर के चली थी
क्या इसलिए हुए पैदल, यूँ बताने लगे?" - [ :-) manish