मनीषा के आंसू मुझ से देखे ना गये ;) इसलिये कल जिन ३ शेरों का जिक्र उन्होंने किया वो उनकी तरफ से मानिये और उन ३ शेरों की कमी पूरी करने के लिये अपनी सस्ती डायरी के रद्दी के पन्नों से उतारे ये ३ शेर अर्ज है। हाँ, हाँ मुझे मालूम है ये कुछ ज्यादा ही सस्ते हैं लेकिन अभी अभी मुनीश ने मंहगाई मार गयी गाया था उसका असर थोड़ी देर तो रहेगा ना।
धरती तारे, पहाड़, पत्थर
धरती तारे, पहाड़, पत्थर
इकहत्तर, बहत्तर, चौहत्तर।
(तिहत्तर का मत सोचिये वो छुट्टी पर है)
जिसे दिल दिया वो दिल्ली चली गयी
जिसे प्यार किया वो इटली चली गयी।
दिल ने कहा, खुदकुशी कर ले जालिम
बिजली को हाथ लगाया तो बिजली चली गयी।
दिल को पता था वो जरूर आयेगी
दिल को पता था वो जरूर आयेगी
पर कभी सोचा ना था जब आयेगी
अपना बॉयफ्रैंड^ भी साथ लायेगी।
^हसबैंड भी पढ़ सकते हैं।
Friday 29 February 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
ओह, सुभो-सुभो आंखों में आंसू आ गए.. ऐसी सस्ती कारीगरी कहां सीखी?
:D
घुघूती बासूती
ये सही है तरुण। ये मेरे वाले नहीं है। चलो, कोई तो मेरे आंसू देखकर पिघला।
Post a Comment