Monday, 4 February 2008

१८ वां बैनुलअक़्वामी किताब मेला पूरे शबाब पर !!


मनीषा ,अशोक, इरफान ,जनचेतना के सचेतक और रोहित उमराव

मैं और मेरा मफलर !!

ढाई आखर के प्रणेता नासिरुद्दीन के साथ !

कुतुब्फरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है :सत्यम वर्मा(जनचेतना)

कौतूहल के पल !! --खरीद लूं या नहीं? सोच में इरफान

हालांकि सही शब्द-चयन के हिमायती इरफान के मुताबिक मेला ' उरूज' पर होना चाहिऐ मगर नाचीज़ की राय में ये जिस पर भी हो ,रहेगा वहीं जहाँ कि वो 'है' यानी दिल्ली के प्रगति मैदान में !लेखकों और कवियों के साथ साथ दुनिया भर के कुतुब्फरोश , किताबी कीड़े , पुस्तकालयों के कमीशन एजेंट और बुक फेयर में 'affair' की गुंजाइश ताड़ने वाले छंटे हुए लोग इस १८ वें विश्व पुस्तक मेले में इन दिनों दिल्ली आये हुए हैं सो हम भी पहली फुरसत में वहाँ पहुंच गए और पहुंच कर क्या देखते हैं कि ब्लौग - बिरादरी की कई धुरंधर , नामचीन हस्तियाँ मौकाये-वारदात पे पहले ही मौजूद हैं जिनमें मोहल्ले के दादा अविनाश हैं , वेब दुनिया की सहाफी मनीषा पाण्डेय हैं , ढाई आखर के नासिरुद्दीन हैं , इरफान भी हैं और साथ में हैं रोहित उमराव और कबाड़खाना फेम अशोक पांडे !! संवाद और जनचेतना प्रकाशन ने अशोक की कई नयी-पुरानी किताबें सजाई हैं जिनमें विश्व प्रसिद्ध कथा साहित्य एवं कविताओं के अनुवाद पाठकों के बीच चर्चा का मौजूं बने हैंअशोक के कुछ युवा fans की बेक़रारी बडे- बडों में जलन पैदा करने को काफी है ! इससे पहले की प्रगति मैदान में कोई अग्नि काण्ड हो
वहाँ से निकल लेने में भलाई समझी जाती है और खास लोगों का काफिला 'इन्नोवा' में सवार हो जा पहुँचता है दक्षिण दिल्ली के एक गेस्ट हाऊस जहाँ रानी खेत क्लब की कुछ यादें फिर ताज़ा होती हैं , सस्ता शेर की निंदा करने वाले अल्पज्ञ ब्लोगरों की बुद्धि पर तरस खाया जाता है ......जहाँ तक बात पीने की है तो chivas रीगल और वाट 69 दोनो हैं मगर चूंकि सोनापानी ट्रिप की शिवास अभी उतरी नहीं है सो वाट 69 की डाट खोली जाती है और एक पैग लेने के कुछ ही क्षण बाद मन ही मन मैं कह उठता हूँ --
न पूछ ऐ दोस्त कि क्या है मेरा sun- sign / होश ले गयी मेरा ये वाट
सिक्स्टी नाइन !! आमीन !!

3 comments:

चंद्रभूषण said...

सुबहा नल्ला, सुबहा नल्ला! (यह बात शेर के लिए कही गई। जहां तक सवाल मेले का है तो...) अरे भाई, कभी कुछ किताब-विताब की बात भी कर लिया करो। क्या देखा, कहीं कोई बढ़िया चीज दिखी टाइप। ये क्या कि घूम-फिरकर ब्लॉग पर भी ब्लॉगरों की ही चिरकुट चर्चा में मुब्तिला हो गए।

आलोक said...

सही मेला लगा है, खरीदारी भी अच्छी हुई होगी ऐसी उम्मीद है!

मुनीश ( munish ) said...

ek boo si a rahi hai kahin kuch jal raha hai / sher mera padh ke koi haath mal raha hai!! ameeeen!