हुए दस बरस, हम दोस्तो, हैं लगे हुए एक हॉल में
मुग़ल-ए-आज़म अब हमें रकीब सारे बताने लगे
(जो भी वर्ज़न ठीक लगे, वही पसंद करें। मेरे लिए यह एक बड़ी पुरानी थीम है। थैंक्यू साब लोग।)
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महंगाई के दौर में एक राहत की सांस
1 comment:
मालिक मकान -
"वो अनारकली थी जो भर के चली थी
क्या इसलिए हुए पैदल, यूँ बताने लगे?" - [ :-) manish
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