मित्रों आपको कोई जवानी की प्रेमिका कभी अधेड़ावस्था में मिली है । हमें मिली तो श्रीमती सरोज व्यास का शेर पेल गई । क्यों, दरअस्ल में वे तो वैसी की वैसी ही नजर आ रहीं थीं ( जय हो ब्यूटी पार्लर) जैसी हमें जवानी में मिलीं थीं मगर हम तो उस अवस्था का अंश भी नहीं बचे थे । और इसीलिये वो शेर कह गईं कि
ये है मौसमों का कोई असर, या ग़ज़ल का कोई निज़ाम है
मैं रही रदीफ़ सी ज्यूं की त्यूं, तुम्हीं काफि़ये से बदल गए
1 comment:
oonchi hai ji baat. vah vah.
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