Saturday, 2 February 2008

पेश-ए-खिदमत है एक भुक्तभोगी शेर-

राधा की सौत गर थी किसना की बांसुरी,
बीवी की मेरी सौतन मेरा ब्लॉग है।

- विजय सतनवी
(मज़ाक नहीं कर रहा हूँ, इस शेर को ब्लॉगबली अपने-अपने ब्लॉग का स्लोगन बना लें).

2 comments:

मुनीश ( munish ) said...

solah aane sahi baat!!

Ashok Pande said...

उम्दा बात! जय बोर्ची बाबा की!!