सस्ते शेर का ही एक वो 'सेन्सेक्स' है हाज़रीन जो बलंदियों को छूने की बजाये हमेशा नीचे ही नीचे को चलता है !वाजेह रहे कि हरदिल अज़ीज़ शख्सियत के धनी और ब्लोग्गिंग की दुनिया के जगमग तारे इरफान ने इस ब्लॉग को तश्कील देते वक़्त ये हलफ उठाया था के ,चूँकि गहराई मापने के लिए नीचे उतरना पड़ता है सो शायरी को भी जितना नीचे गिराया जा सकता है उतना गिराने का मौक़ा वो हर ख़ास ओ आम को फराहम करायेंगे । उनकी इसी नेकनीयती की बदौलत शायरी का ये ट्रक बड़े तह्ज़ीबो -तमद्दुन से हिकारत का ये सफर तै कर रहा है और करता रहेगा ये बात पूरे यकीन से कही जा सकती है । बड़े बड़े खज़ाने और राज़ गहराइयों में ही पोशीदा हैं , बलंदियों पे क्या रखा है वहां तो
ओक्सीज़ंन तक के टोटे पड़ जाते हैं साहब!! सो पतन शीलता के इस कारवां को यूं ही आगे बढाना जारी रखना है ,फतह हमारी ही होगी । आज कई खवातीन और साहेबान फरमा रहे हैं की वो 'पतनशील' होने के खाहिश्मंद हैं , की अब उनसे रहा नहीं जाता । अल्लाह उन्हें कामयाबी दे , हम तो पहले ही पतनशील हैं । जय सस्तापन! जय बोर्ची !
Monday 18 February 2008
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6 comments:
आपका खैरमक्दम हो,पतनशीलता को रसातल तक पहुँचाना सस्ते और पतनशीलता लोगों का परम कर्तव्य है.... चले चलों अभी बहुत दूर जाना है..
बड़ी अच्छी जबान है, भई! भगवान आपको सस्ता बनाये रखे!
भाई "पतनशीलता:कुछ अडचनें" शीर्षक पुस्तक के विमोचन में आप आमंत्रित हैं. सभी आतुरों से अनुरोध है कि अपना ईमेल का पता भेजें ताकि उन्हें निमंत्रण पत्र भेजा जा सके. जय बोर्ची,
भाई इरफान जी,
हमने अभी अभी एक फ्लाइंग किस मारा है। अब ये किधर गया पता नहीं।
मैं भी आप के हम में शामिल।
सस्तत्व को प्राप्त तो आप पहले से ही थे, अब इस रास्ते पर दिन दूनी, रात चौगुनी प्रगति करें, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।
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