सस्ता शेर

महंगाई के दौर में एक राहत की सांस

Saturday, 19 April 2008

मयखाना: मयखान्वी इन दगशाई

मयखाना: मयखान्वी इन दगशाई
सस्ते हरकारे मुनीश ( munish ) कब 12:03 am

No comments:

Post a Comment

Newer Post Older Post Home
Subscribe to: Post Comments (Atom)

एक सस्ता शेर भी क्या उतना सस्ता होता है?

दोस्तो,
ये तो आप महसूस करते ही होंगे कि शायरी की एक दुनिया वह भी है जिसे शायरी में कोई इज़्ज़त हासिल नहीं है. ये अलग बात है कि इसी दुनिया से मिले कच्चे माल पर ही "शायरी" का आलीशान महल खड़ा होता है, हुआ है और होता रहेगा.
तो...यह ब्लॉग ज़मीन पर पनपती और परवान चढ़ती इसी शायरी को Dedicated है. मुझे मालूम है कि आप इस शायरी के मद्दाह हैं और आप ही इस शायरी के महीन तारों की झंकार को सुनने के कान रखते हैं.
कोई भी शेर इतना सस्ता नहीं होता कि वो ज़िंदगी की हलचलों की तर्जुमानी न कर सके. बरसों पहले मैंने इलाहाबाद से प्रतापगढ़ जा रही बस में पिछली सीट पर बैठे एक मुसाफ़िर से ऐसा ही एक शेर सुना था जो हमारी ओरल हिस्ट्री का हिस्सा है और जिसके बग़ैर हमारे हिंदी इलाक़े का साहित्यिक इतिहास और अभिव्यक्तियों की देसी अदाएं बयान नहीं की जा सकतीं. शेर था-- बल्कि है---
वो उल्लू थे जो अंडे दे गये हैं,
ये पट्ठे हैं जो अंडे से रहे हैं .
.............इस शेर के आख़ीर में बस उन लोगॊं के लिये एक फ़िकरा ही रह जाता है जो औपनिवेशिक ग़ुलामी और चाटुकारिता की नुमाइंदगी कर रहे हैं यानी उल्लू के पट्ठे.
--------तो, आइये और बनिये सस्ता शेर के हमराही.
मैं इस पोस्ट का समापन एक अन्य शेर से करता हूं ताकि आपका हौसला बना रहे और आप सस्ते शेर के हमारे अपर और लोवर क्राईटेरिया को भांप सकें.
पानी गिरता है पहाड़ से दीवार से नहीं,
दोस्ती मुझसे है मेरे रोजगार से नहीं.
---------------------------------------------
वैधानिक चेतावनी: इस महफ़िल में आनेवाले शेर, ज़रूरी नहीं हैं कि हरकारों के अपने शेर हों. पढ़ने-सुननेवाले इन्हें पढ़ा-पढ़ाया या सुना-सुनाया भी मानें.
--------------------
इरफ़ान
12 सितंबर, 2007

----------------------------------------------
----------------------------------------------

ज़्यादा ही सस्ते

  • जो ताकतवर हो...
    जो ताकतवर हो उसे महान कहना ही पड़ता है, कमज़ोर दोस्तों को पहलवान कहना ही पड़ता है, जो रिश्तेदार अपने घर जाने का नाम ना लें, मज़बूरी में उन्हें म...
  • देशप्रेम की कविता
    आँखों में पलते ख्वाबों की ताबीर नही देनेवाले, जन्नत का गुमां हो जिसपर वो जागीर नही देनेवाले, तुम सुलह करो या जंग करो मर्ज़ी तुम्हारी जो ...
  • अश्लील शेर
    वो आगे आगे वस्ल का वादा किये हुए हम पीछे पीछे सिर पे चारपाई लिए हुए (मेरे मित्र सी एस तिवारी का सुनाया शेर)
  • न मंदिर न भगवान
    ना मंदिर, ना भगवान ! ना पूजा ना स्नान !! दिन होते ही ! हमारा पहला काम !! इक प्यारा सा एस एम एस ! अपने दोस्त के नाम !!
  • बहुत पुरानी सायरी
    मेरे अति प्रिय फिल्मकार मित्र राजीव (जिनके ज्ञान की मैं बहुत कद्र करता हूँ), अक्सर ये चार लैना सुनाते हैं. हर बार वे यह भी पूछते हैं कि मुसा...
  • कलजुग में दारू मिली
    रामजनम मे दूध मिला ,कृषण जनम मे घी / कलजुग मे दारू मिला सोच समझ कर पी //
  • पॉपुलर मेरठी का क़लाम
    अजब नहीं है जो तुक्का भी तीर हो जाए फटे जो दूध तो फिर वो पनीर हो जाए मवालियों को न देखा करो हिकारत से न जाने कौन सा गुंडा वजीर हो जाए
  • जो पति पे तनी वो पत्नी "
    जो पति पे तनी वो पत्नी " दोनो मिल के बनाते दम्पत्ती’ दम है तब तक पति दम नही तो काहे का पति "
  • चचा गालिब से प्रदीप चौबे जी की क्षमा याचना
    पुरानी ग़ज़लों का चरबा करना और उनमें से अच्‍छी बाते निकाल लाना ये तो प्रदीप जी के ही बस का है तभी तो उन्‍होंने चचा गालिब को भी नहीं बक्‍शा ह...
  • तू मुझको टिपिया सनम, मैं तुझको टिपियाउं
    इन दिनों हमारे ब्‍लाग जगत में एक अजीब सी परंपरा चल रही है । ये परंपरा है महान बनाने की परंपरा । अ की टिप्‍पणी ब को मिलती है कि आप महान हैं त...

Translate

contributors

  • Ashok Pande
  • Prakash Badal
  • Reyazul Haque
  • Shailendra
  • Shiv Kumar Mishra
  • Tarun
  • Unknown
  • VIMAL VERMA
  • Yunus Khan
  • अजित वडनेरकर
  • अनामदास
  • अनूप भार्गव
  • अमिताभ मीत
  • इरफ़ान
  • इष्ट देव सांकृत्यायन
  • ऋतेश त्रिपाठी
  • पंकज सुबीर
  • मुनीश ( munish )
  • विजयशंकर चतुर्वेदी
  • bijnior district
  • siddheshwar singh

सस्ती दाद

Total Pageviews

ज़रूरत है सात सस्ते शेरों की

सात सस्ते शेर इस महफ़िल में भेजने के बाद आपको मौक़ा दिया जायेगा कि आप एक लतीफ़ा भेज दें. तो देर किस बात की ? आपके पास भी है एक सस्ता शेर... वो आपका है या आपने किसी से सुना इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. बस मुस्कुराइये और लिख भेजिये हमें ramrotiaaloo@gmail.com पर और बनिये महफ़िल के सितारे.

कहां नहीं हैं सस्ते लोग ?

अभी भूत हो जाऊंगा !

आप बुलाएं और हम ना आएं?

www.blogvani.com

जमाख़ोरी

  • ►  2016 (1)
    • ►  September 2016 (1)
  • ►  2013 (4)
    • ►  November 2013 (4)
  • ►  2011 (6)
    • ►  December 2011 (1)
    • ►  May 2011 (2)
    • ►  April 2011 (1)
    • ►  February 2011 (2)
  • ►  2010 (4)
    • ►  August 2010 (2)
    • ►  April 2010 (1)
    • ►  January 2010 (1)
  • ►  2009 (49)
    • ►  December 2009 (1)
    • ►  October 2009 (1)
    • ►  September 2009 (2)
    • ►  August 2009 (2)
    • ►  July 2009 (2)
    • ►  June 2009 (7)
    • ►  May 2009 (7)
    • ►  April 2009 (14)
    • ►  March 2009 (4)
    • ►  February 2009 (5)
    • ►  January 2009 (4)
  • ▼  2008 (344)
    • ►  December 2008 (2)
    • ►  November 2008 (7)
    • ►  October 2008 (12)
    • ►  September 2008 (18)
    • ►  August 2008 (15)
    • ►  July 2008 (22)
    • ►  June 2008 (24)
    • ►  May 2008 (46)
    • ▼  April 2008 (53)
      • जिनके पास कुछ भी नहीं,उनसे दुनियाँ जलती है
      • थियोरी ऑफ रिलेटिविटी का दूसरा शेर
      • थियोरी ऑफ रिलेटिविटी का शेर
      • वादे पे .........
      • हमे तो अपनो ने लूटा
      • फ़ुल से हाफ़
      • भाइयो और बहनो, दम है तो रिक्त स्थान की पूर्ति करें
      • पानी भी गरम है ।
      • सरदी लग गई नहाने से
      • गरमी के लिये खास
      • खोये वहीं पर .....
      • गड़बड़ रामायण की चंद चौपाइयां
      • दोस्ती पर महान सस्ता शेर.....
      • कल के हिंदुस्तान अख़बार में रवीश का नया स्तंभ और उस...
      • अगर कोई मुमताज होती
      • जल्दी में लिपिस्टिक भूल गये...
      • शिनाख्त का मसला
      • हेल्लो-हेल्लो जेंटलमैन
      • मयखाना: मयखान्वी इन दगशाई
      • लिंकिया शेर
      • मेरे दील मे समायी है
      • कभी मुंह तो ला मेरी नांद में
      • नवी मुम्बई के तुर्भे नाका पर खड़े एक ट्रक के सौजन्य...
      • दोस्ती को प्लस करो !
      • स्वाद अब खोजते फिरते मटर के दाने में
      • तसव्वुर - ऐ - जाना !
      • तुम मुझे वोट दो
      • उसके लिये ! !
      • बहारों फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है
      • लुत्फ़-ओ-मस्ती उनको आया, और तू उल्लू हो गया
      • रिक्त स्थान की पूर्ति करें
      • एक महंगा शेर
      • हज़ारों साल मा‍ली टोटके दिन रात करता है
      • मयख़ानवी का एक पुराना शेर
      • शिकवा ऐ इंतज़ार....
      • surmayi sham
      • मगर बिन दिए बिल जो इस बार लुढ़के
      • रस परिवर्तन
      • हुस्न और इश्क
      • सीख ले बेटा
      • उसके नीचे ही लिपस्टिक से किसी ने लिख दिया
      • कौन कहता है की बुड्ढे इश्क नही करतेअजी करते हैं, प...
      • "कभी कभी मेरे दील मे खयाल आता है ""
      • भंसाली, साँवरिया और...
      • कुछ तो शरम कर
      • E.M.I. की शायरी
      • जो पति पे तनी वो पत्नी "
      • उल्लू का पट्ठा दिल
      • खुदा जाना .....
      • बास मारे ये बंदा बास मारे
      • मयकदे से निकले तो मुश्किल से पहचाने गए
      • वह तो बिसाती है
      • कोई है... जवाब देने वाला ?
    • ►  March 2008 (70)
    • ►  February 2008 (43)
    • ►  January 2008 (32)
  • ►  2007 (175)
    • ►  December 2007 (25)
    • ►  November 2007 (27)
    • ►  October 2007 (81)
    • ►  September 2007 (42)