बशीर बद्र साहब से क्षमा-याचना के साथ ...
न तुम होश में हो न हम होश में हैं
चलो मयकदे में वहीं बात होगी
मगर बिन दिए बिल जो इस बार लुढ़के
वहीं पर सर-ए-आम मुका-लात होगी
-----शिव कुमार मिश्र
Monday, 7 April 2008
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महंगाई के दौर में एक राहत की सांस
3 comments:
बढिया है :-)
अत्युत्तम बात है. शेर तो जबरजस्त है ही.
क्या खूब - बिलबिला कर कह उठे वाह वाह ऊह आह [ :-)]
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