Tuesday, 1 April 2008

मयकदे से निकले तो मुश्किल से पहचाने गए

बेकल उत्साही जी ने इस शेर में नासेह (नसीहत देने वाले) टाइप लोगों को चेतावनी दी है. आप भी देखिये और नासेह बनने से किनारा कीजिये...

आज फिर नासेह बलानोशों को समझाने गए औ;
मयकदे से निकले तो मुश्किल से पहचाने गए

3 comments:

दीपक said...

बहूत खूब !! वाह वाह

VIMAL VERMA said...

अहा अहा वाह वाह...

Joshim said...

थोड़ी देर बाद मिलने आयें
साहब अभी लंच खाने गए