Thursday, 3 April 2008

कुछ तो शरम कर

चिजे महँगी है ,लोग सस्ते है ,दुनिया सस्ती है, ये मैदान भी सस्ता है, हम भी सस्ते है ,युँ कि सस्ता होने मे फ़यदा भी है क्योकि महँगी चिजे ,फ़र्स्ट क्लास अवेन्यु मे ही बिकती है जब्कि सस्ता तो होल इंडिया मे बिकता है ,तो अर्ज है सस्ते मगर मार्के की बात ""

कुत्ता भी खाये रोटी तो होता वफ़ादार "
तुने दूध पिया उसका ,कुछ तो धरम रख "
माँ कि दवाई बंद कर पीता रहा शराब "
ऐ बदलते आदमी ,कुछ तो शरम रख "

1 comment:

tarun mishra said...

बधाई संदेश

नमस्ते , नमस्कार ,शुभ प्रभात आप सभी मित्रों को स्वामी तरुण मिश्रा की ओरसे नव संवत २०६५ ,दुर्गा पूजा और झूलेलाल जयंती की हार्दिक शुभ कामनाएं .............................

उर में उत्साह रहे हर पल , विकसित हों तीनों तन ,मन ,धन ,

स्वर्णिम प्रभात लेकर आये , जो वर्ष आ रहा है नूतन ।

पुष्पित हो और पल्लवित हो , आप का सघन जीवन उपवन ,

सस्नेह बन्धु स्वीकार करो स्नेहिल उर का अभिनन्दन