Tuesday, 1 April 2008

बास मारे ये बंदा बास मारे

अभी अभी एक सज्जन ऑफिस में आये थे. जाहिर है बाहर गर्मी है तो पसीने से नहाये हुए थे. अपना चश्मा उतार के मुँह पोछ्ते पोछ्ते बतिया रहे थे. पसीने की बास तो पहले ही झेल रहा था कुछ देर बाद एक और बास भी आयी. तो यह शेर बन गया.


कोई पास में बैठ के मारे बास तो क्या होता है?
वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है

खुदा करे कि जल्दी से लगें खम्बे वहाँ पे
एक अरसे से जहाँ पे खुदा होता है

1 comment:

Shiv Kumar Mishra said...
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