Thursday, 28 February 2008

इधर खुदा है, उधर खुदा है

सस्ते शेरों की इस महफिल में निठल्ले का सलाम, अब ज्यादा दुआ सलाम ना करते हुए सीधे अर्ज किया है -

तुम्हारा चेहरा मोती समान, तुम्हारा चेहरा मोती समान
मोती हमारे कुत्ते का नाम।

इधर खुदा है, उधर खुदा है, जिधर देखो उधर खुदा है
इधर-उधर बस खुदा ही खुदा है,
जिधर नही खुदा है, उधर कल खुदेगा।

तुमको देखा, तुमको देखा तो ये ख्याल आया
पागलों के स्टॉक में एक नया माल आया।

तू मेरे दिल में ऐसे समायी है
जैसे बाजरे के खेत में भैंस घुस आयी है।

10 comments:

मुनीश ( munish ) said...

vaaaaaaaaaaahh!

मनीषा पांडे said...

तरुण, दिस इज नॉट फेयर... सारे मेरे सस्‍ते शेर चुरा लिए... इनमें से तीन तो मैं लगाने वाली थी.. बू..हू..हू..हू.sssss

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया!!

इधर खुदा है, उधर खुदा है, जिधर देखो उधर खुदा है
इधर-उधर बस खुदा ही खुदा है,
जिधर नही खुदा है, उधर कल खुदेगा।
**
:)यही हाल रहा तो फिर कोइ बच्चा इस में गिरेगा।:)

VIMAL VERMA said...

ये खुदा वाला शेर तो मुम्बई की खुदाई मे मिले होंगे क्योकि ये शहर भी खुदा पड़ा है...क्या बात है .....ही ही हा हा हा म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ आआआ गया।

ghughutibasuti said...

बहुत खूब !
घुघूती बासूती

पारुल "पुखराज" said...

वाह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्हह………रोज़ पढ़ती रही……तो सदस्यता लेनी पड़ जायेगी

Anonymous said...

नमस्कार, मैं बहुत ही आभारी होऊंगा अगर आप इस हाले-दिल को अपने या किसी भाई-बंधू के ब्लॉग या किसी समूह ब्लॉग पर पोस्ट करने की कृपा करेंगे......जिंदादिल

सिगरेट के धुएँ से दिल को काला करने की नाकाम कोशिश करता हूँ
हर मरती हुई सांस में इक जिंदगी तलाशने की कोशिश करता हूँ

सोचता हूँ क्या मिला अच्छा इन्सान बनकर इसलिए
हर पल इक बुरा इन्सान बनने की कोशिश करता हूँ

हो ना जाऊँ कहीं मैं बेखौफ इतना कि खुदा भी डरने लगे
रोज-ब-रोज यूं ही खुद को डराने कि कोशिश करता हूँ

बरास्ते आँखों के खून का सैलाब उमड़ आया है
रगों में बहते लहू को पानी बनाने कि कोशिश करता हूँ

उठ ना जाये भरोसा कहीं खुदा कि खुदाई से
हर इबादतगाह में सज्दा करने कि कोशश करता हूँ

अपनों के दिए जख्म में दर्द उभर आता है
जब किसी गैर को मरहम लगाने कि कोशिश करता हूँ

गम जुदाई का नहीं, उनकी बेवफाई का भी नहीं
वो उतना ही याद आये जितना भुलाने कि कोशिश करता हूँ

.......कोशिश करता हूँ

मुनीश ( munish ) said...

yaar naam to batao. badhiya likha hai.

Unknown said...

अरे वाह निठलुए - तुम इतने सस्ते भी हो पता न था - लेकिन जितने चुस्त सस्ते सोचे थे उससे भी मस्त हँसते सस्ते हो - सही बहुत सही - [बेनाम जी भी हैं ]

Anonymous said...

मनीष जी, मेरा नाम अजीत है....हौसला-अफजाई का बहुत-बहुत शुक्रिया!